चित्त प्रवाह!?

जो हजार साल, सौ साल की योजना बना कर चलती है, जो वर्तमान चरण पर-वर्तमान समाधान के लिए कर्म पर, वर्तमान चुनाव प्रक्रिया में आगामी कदम, भविष्य के समाधान के लिए कर्म पर, भविष्य के चुनाव पर योजना रखता है उसके सामने हम राशि रखते हैं हो सकता है?

हमारा नजरिया वहां तक ​​होता है जहां तक ​​हमारे कर्मों की पहुंच होती है।
जब हम अपने शरीर, अपने परिवार, अपनी जाति, अपनी मजहब, एक जाति के दल एक परिवार के दल तक सीमित होंगे तो हमारी सीमा कितनी होगी?

हम व जगत के तीन स्तर हैं- मूल, सूक्ष्म व कारण।
हमारा सारा जीवन, नजरिया, कर्म सिर्फ स्थूल तक सीमित है तो उसका असर देखने तक जाएगा?

जो अपने व जगत के स्वत:, निरंतार, शाश्वत तक पहुंच की सोंच, नजरिया, समझ, कर्म नहीं रखता उसका प्रभाव कहां तक ​​जाएगा?

जो सिर्फ रोटी, गद्दा, मकान, अस्पताल तक उसका असर देखेगा?

ईसा के बहुमत का असर दिखता था?ईसा का असर दिखता था?

भारत स्वयं में क्या है?उसकी पहचान क्या है?वह जब अपनी पहचान में होगा तो फिर वह विश्व में चकेगा?भारत.... भा... रत.... प्रकाश में दौड़.... भारत का क्या प्रकाश है ?उसका प्रकाश ही भारतीयता है। भारतीयता हर भारतीय की पहचान है!

#अशोकबिन्दु #सेवाभारती #दीनदयाल #लोहिया #AbvpBraj #संविधानप्रस्तावना  

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विश्व सम्विधा

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2 Comments

बहुत ही उम्दा

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Abhinav ji

18-Feb-2023 08:46 AM

Very nice 👌

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